न्यूज़ पेपर बेचने वाला लड़का कैसे बना दुनिया का सबसे बड़ा स्टॉक इन्वेस्टर और बिजनेस मैन ।। Waren Buffet ।।


हैलो दोस्तो,आज हम स्टॉक इन्वेस्टर वॉरेन बफेट के बारे में जानने वाले है ।
वॉरेन बफेट का जन्म 1930 में अमेरिका के ओमाहा शहर में हुआ ,उनके पिताजी स्टॉक ब्रोकिंग फर्म में सेल्स मैन का काम करते थे,परंतु 1929 के डिप्रेशन की वजह से उनकी नौकरी चली गई थी बाद में अपने कुछ सेविंग से उन्होंने स्टॉक ब्रोकिंग फर्म शुरू किया ।

जहा बचपन में बच्चे खेल कूद का आंनद के रहे थे वहीं वॉरेन को नंबर्स के साथ खेलना बुक्स पढ़ना और छोटे मोटे बिजनेस करना पसंद था और उसमें ही उन्हें आनंद मिलता था ,जैसे कि मानो वो उन्हीं चीजों के लिए बने थे ,जब वॉरेन बफेट 7_8 साल के थे तब उन्होंने एक बुक पढ़ा 1000 way to make 1000 dollar।यानी की 1000 डॉलर कमने के 1000 तारिके, लेकिन इसमें उनको  1000 डॉलर कमने का 1 तारिका मिल गया  पिनबॉल मशीन के व्यापार का, उन्होंन देखा की एक पिनबॉल मशीन ख़रीदने के लिए कितने पैसे लगते हैं, या उन मशीन से ज्यादा लाभ कमा कर उनसे और  ज्‍यादा मशीन ख़रीदने में उन्‍हें कितना समय लगेगा, वारेन को ये बिजनेस अच्‍छा लगा फिर उन्होंनेअपने एक दोस्त के साथ मिल्कर उन्‍होने एक पिनबॉल मशीन खरीद ली, और उसे एक सैलून वाले के दुकान में रख दिया। तकी जो लॉग वेटिंग में होगा वो टाइमपास के लिए उपयोग करें खेल खातिर। जैसे जैसे उन्हे व्यवसाय में मुझे लाभ होता है वैसा ही उन्होंने ज्यादा पिनबॉल मशीन खड़ी ली। और उन मशीन को अलग अलग सैलून में रख दिया, या इसी तरह वे लाभ कमते गए । ऐसी ही बच्चन में उन्होन या बिजनेस 1200 डॉलर में बेचकर अपने बिजनेस माइंड का नमूना दिया।
तो 7_8 साल के इतने कम उम्र में ही उन्होंने बिजनेस करना स्टार्ट किया ,उसके बाद उन्होंने कई सारे छोटे मोटे बिजनेस और काम किए ,जैसे कि न्यूज पेपर बेचना, डोर तो डोर जाके कोको कोला,चुंगम बेचना ,मैग्जीन बेचना इत्यादि। हालांकि उनकी फैमिली की फाइनेंशियल कंडीशन अच्छी थी लेकिन वॉरेन को छोटे मोटे बिजनेस करना अच्छा लगता था ,14 साल की उम्र में ही उन्होंने अपने सेविंग से 40 एकर जमीन खरीदी थी ,और कॉलेज ख़तम होते होते उनके पास 9800 सेविंग जमा हो चुकी थी।
वॉरेन बफेट के पिताजी उन्हें बचपन में फायरबॉल कहते थे ,क्युकी छोटीसी उम्र में ही वॉरेन बोहोत सारे छोटे मोटे बिजनेस करता था ,उनके पिताजी को उनपर बोहोत भरोसा था ,उनको उनके पिताजी से बोहोत अच्छा गाइडेंस मिला है,इसलिए अपने सक्सेस का बोहोत सारा क्रेडिट वो अपने पिताजी को देते है ,

उन्होंने पोस्ट ग्रेजुएशन के लिए हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में अप्लाई किया था जो कि बोहोत फेमस यूनिवर्सिटी है लेकिन उन्हें वाहसे रिजेक्ट कर दिया ,जिसके बाद वे दूसरे कॉलेज और टीचर्स की इंफॉर्मेशन चेक कर रहे थे ,तब उन्हें पता चला कि mr.benjemon graham और david dod ये दोनों कोलंबिया यूनिवर्सिटी में पढ़ा रहे थे , वॉरेन बफेट ने इन दोनों के बुक सिक्योरिटी एनालिसिस पहले ही पढ़ चुके थे ,और। उसबुक से वॉरेन बोहोत ज्यादा प्रभावित हुए थे ,उनसे इनवेस्टिंग के बारे में सीखने के लिए उन्होंने कोलंबिया यूनिवर्सिटी में दाखिला लेने का निर्णय लिया।ये फैसला उनके लिए आगे चलकर लाइफ चंगिंग साबित हुआ ।प्रोफेसर behnjumin Graham ने Value Investing की फिलिसोफी लिखी थी और आगे चलके उन्हें Father ऑफ Value Investing के नाम से पहचाने जाने लगा।

प्रोफेसर ग्राहम से वैल्यू इनवेस्टिंग फिलोसॉफी सीखने के बाद उनके अपने पर्टरशिप फर्म ग्राहम न्यूमिं के लिए फ्री में काम करने की इच्छा जताई लेकिन ग्राहम ने उन्हें रिजेक्ट कर दिया ,और उसके 2 साल बाद ग्राहम ने वॉरेन को उनके फर्म में जॉब ऑफर की।अगले 2 साल तक वॉरेन ने वहां सिक्योरिटी एनालिसिस का काम किया ,और प्रोफेसर ग्राहम के साथ काम करके अपने इनवेस्टिंग स्किल्स को इंप्रूव किया ,और जब 1956 में प्रोफसर ग्राहम रिटायर होगया तब उन्होंने अपना पार्टनरशिप फर्म बंद कर दिया।और फिर वॉरेन बफेट वापस अपने होमटाउन ओमाहा चले आए ,और वह पर उन्होंने कुछ पार्टनरशिप फर्म शुरू किए , प्रोफेसर ग्राहम के वैल्यू इनवेस्टिंग की फिलोसॉफी को उस करके उन्होंने बोहोत प्रॉफिट कमाया और जल्द ही मिलेनियर बैन गए ।  

Value इनवेस्टिंग मतलब शेयर को उसके इंट्रेस्टिंग वैल्यू से कम प्राइस में खरीदना ,कई बार प्राइस शेयर के इंट्रेस्टिंग वैल्यू नीचे चली जाती है, वैल्यू इनवेस्टिंग में उस शेयर को खरीदा जाता है जिनकी स्टॉक प्राइस उनके इंट्रेस्टिंग वैल्यू से कम होती है ,
वॉरेन बफेट ने बगाशायार हतावे के शेयर पहली बार 1962 में खरीदे थे ,तब बगशायार एक बोहोत बड़ा टेक्सटाइल यानी कि कपड़ों का बिजनेस था ,और वो बिजनेस बोहोत खराब परफॉर्म कर रहा था, कंपनी एक के बाद एक टेक्सटाइल मिल्स बेच रही थी ,और उन पैसों से बगशयार के शेयर री पर्चेस कर रही थी ,यानी शेयर होल्डर्स से वापस खरीद रही थी,तब वॉरेन ने ये सोच कर उस कंपनी के शेयर खरीदे थे कि उसक  मालिक कंपनी बंद करने का सोच रहे हे,और जब कंपनी बाकी टेक्सटाइल मिल्स बेचेगी तब कंपनी जरूर शेयर री पर्चेस करेगी ,और तब मुझे उस शेयर के लिए अच्छी प्राइस मिलेगी, उन्होंने 1964 तक अच्छी संख्या में उस कंपनी के शेयर खरीद लिए थे,और जब बगशायर ने अपने और शेयर बेच दिए और उनसे अपनी कंपनी के शेयर री पर्चेस करना चाहते तब उन्होंने वॉरेन से पूछा कि वे किस प्राइस में शेयर बेचना चाहते तब उसपर बफेट ने कहा 11.50 डॉलर तब उन्होंने हमी भर दी। लेकिन जब बगशयर से शेयर खरीदने के लिए बफेट को ऑफर लेटर भेजा तब उसमे शेयर की प्राइस 11.37 डॉलर थी,जबकि डील 11.50 डॉलर की हुए थी,उन्हें बागशायार हातावे के मैनेजमेंट का यह झुटा बेहवियर बिल्कुल पसंद नहीं आया ,और उन्होंने वो ऑफर तुरंत रिजेक्ट कर दी और बागशयार के और ज्यादा शेअर खरीदने लगे जबतक कंपनी का कंट्रोल उनके हात में नहीं आता तब तक वे कंपनी के शेअर खरीदते रहे,और कंपनी का कंट्रोल मिलते ही उन्होंने कंपनी के उस चीटर मैनेजमेंट को कंपनी से निकाल दिया।
वे हमेशा कहते है कि इनवेस्टिंग करते वक्त इमोशंस को हमेशा दूर रखना चाहिए,और यह उन्होंने अपनी इन्वेस्टमेंट इमोशनली ली थी एस वे अपनी लाइफ की सबसे बडी गलती मानते थे ,इस गलती को बादमें उन्होंने एक सक्सेसफुल बिजनेस में कन्वर्ट कर दिया ,।

1969 में उन्होंने अपनी पार्टनरशिप का बिजनेस बंद कर दिया और बगशायर हत्तावे के चेयरमैन में गए ,उन्हें टेक्सटाइल  के बिजनेस में कुछ ग्रोथ दिख नहीं रही थी,इसलिए उन्होंने बगशायाए को होल्डिंग कंपनी बना दिया ,होल्डिंग कंपनी मतलब वो कंपनी जो दूसरो के शेअर खरीदती है ,यानी दूसरी कंपनी में इन्वेस्ट करती है,और वो बगशायार के जरिए अलग अलग कंपनी में इन्वेस्ट करने लगे,जैसे कि वाशिंगटन पोस्ट ,कोका कोला , गायकों etc। बाद में उन्होंने कुछ इन्शुरेंस बिजनेस को खरीद कर इन्शुरेंस बिजनेस में इंट्री की,और टेक्सटाइल बिजनेस बन्द कर दिया ।

वॉरेन बफेट ने सिर्फ 11 साल की उम्र में स्टॉक मार्केट में इन्वेस्ट किया था ।वे कहते है कि मैने 11 साल की उम्र में स्टॉक मार्केट में इन्वेस्ट किया था और तब तक में टाइमपास कर रहा था ,वॉरेन ने अपने पिताजी के ऑफिस की इनवेस्टिंग से जुड़ी सारी किताबें पढ़ ली थी,जिसके वजह से इनवेस्टिंग में उनकी रुचि बढ़ने लगी ,।

उन्होंने लाइफ कि पहली इन्वेस्टमेंट सिटी सर्विस नामक कंपनी में इन्वेस्ट करके की थी उन्होंने अपने और अपनी सिस्टर के लिए शेयर्स 38 डॉलर की प्राइस में खरीदे थे ,वॉरेन ने खरीदने। केबाद शेयर 38 डॉलर के भी नीचे चला गया ,और कुछ टाइम बाद फिर 40 डॉलर पर अगया ,तब वारेन ने 40 डॉलर की प्राइस पर शेअर बेच दिए ,बादमें वो स्टॉक 200 डॉलर तक चला गया,तब वारेन कहते है की उनके पहले इनवेस्टिंग से उनको इनवेस्टिंग में सब्र कितना महत्वपूर्ण है ये सिखाया ।इसलिए वॉरेन बोहोत लोंग टर्म के लिए इन्वेस्ट करते है।
उन्होंने वाशिंटन पोस्ट के शेअर 1973 से खरीदने शुरू किया था जिसपर उन्हें 9000% से ज्यादा रिटर्न मिला है ,और इसी बोहोत सारी कंपनी में उनको 1000 % रिटर्न्स मिले हे ,वे किसी कंपनी के शेयर खरीदने को उस कंपनी का बिजनेस खरीदने जैसे देखते है ,इसलिए वे उन्हीं बिजनेस में इन्वेस्ट करते है जिसे वे स्मजते हे ,क्युकी जब वो बिजनेस उनको पूरी तरह समझेगा तब वो उसको इंडिप्थ एनालिसिस कर पाएंगे ,1988 से उन्होंने कोका कोला में इन्वेस्ट करना शुरू किया था और कोका कोका के 7% शेयर्स खरीद लिए थे ,अभी भी उन्होंने कोका कोला के शेयर्स होल्ड करके रखे है ,वो खुद भी कोक के बड़े फैन है और डेली 5 से 6 कोक पीते है,और मजाक मे केहते है कि मेरी बॉडी में 25% कोक है ,।
उनकी कंपनी बगशायायर हतवे 60 से भी ज्यादा कंपनी खरीद चुकी है।

वारेन बफेट हमेशा 2 रूल यूज करते है।
1)Never loose money.
2)Never forget rule no.1

वॉरेन बफेट दिन में से 5 से 6 घंटे पढ़ने में बिताते है,वे 87 साल के है और आज भी बिजनेस और इन्वेस्ट करते वक्त लोग टर्म में सोचते है,वे बचपन में ही अपनी बहन से कहते थे कि में दुनिया का सबसे अमीर इंसान बनने वाला हूं,और 2008_2009 में वे कुछ महीनों के लिए दुनिया के सबसे अमीर इंसान बन गए थे,और कई सालो से दुनिया के सबसे अमीर इंसान की सूची में लगातार वे 2र या 3 र स्थान पर बने रहे हे,इतने अमीर होने के बावजूद वे उसी घर में रहते है जिसे उन्होंने 1958 में खरीदा था और वे अपनी कार भी खुद चलते हे।

साल 2000 से 46 बिलियन डॉलर दान कर चुके हैं,कुछ लोग सोचते है की उनके पास इतना पैसा हे तो वो इस उम्र में क्यों काम करते है,तो उनका कहा है कि बिजनेस करना उनका जुनून है,और उस वे एन्जॉय करते है और जीते है।उन्होंने अपना 90% से ज्यादा पैसा 50 साल के बाद कमाया है ,उनके लिए उम्र एक बार नंबर हे आज भी 87 साल की उम्र में वे बगशाए के बिजनेस को बखूबी चला रहे है,।


वॉरेन बफेट जी का घर:


ये रही वॉरेन बफेट के बारे में उनकी जीवनगाथा ।अभी के लिए धन्यवाद ।।।।।।



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