कैसे Dmart बना भारत का सबसे ज्यादा मुनाफा कमाने वाला शॉप ।। Radhakishana Damani Biography Founder of Dmart ।।

हैलो दोस्तो , आपने कभी ना कभी Dmart का नाम कहीं तो सुना ही होगा या फिर Dmart में गए होंगे शॉपिंग करने के लिए ,लेकिन की आपको पता है Dmart kaise bana  और Dmart को किसने बनाए ।
         Dmart owner Mr. Radhakishana Damani  जो कि एक स्टॉक मार्केट इन्वेस्टर , स्टॉक ब्रोकर , ट्रेडर भी है। 
        
Radhakishana Damani वैसे तो बोहोत काम मीडिया या सोशल तरीके से दूर ही रहते है ,लेकिन आज एक स्टॉक ब्रोकर से भारत के सबसे अमीर इंसानों में सूची में 5 वे स्थान पर जगह कैसे बनाई ये कहानी आपको बोहोत मोटिवेट करेगी ।

         Radhakishana Damani  जी का जन्म मुंबई में जनवरी 1954 में हुआ एक छोटे से मारवाड़ी घर में हुआ था ।
उनके पिताजी का नाम शिवकिशन जी दमानी था ,जो कि उस समय के स्टॉक मार्केट ब्रोकर हुआ करते थे। और तब उनका परिवार मुंबई के एक छोटे से रूम के अपार्टमेंट में रहता था ।इसके अलावा परिवार में उनके एक भाई गोपिकिशन दमानी भी थे ।जो कि उमर में राधाकृष्ण जी से बड़े थे । राधाकृष्ण जी ने अपनी स्कूल की पढ़ाई मुंबई में ही कि,और आगे B.COM. की पढ़ाई के लिए Univercity OF Mumbai में एडमिशन ले लिया ।लेकिन वे पढ़ाई में बोहोत अच्छे थे पर वे थे तो मारवाड़ी ही ,इसलिए वे पढ़ाई जल्दी छोड़कर अपना खुदका बिजनेस शुरू करना चाहते थे ।और आखेरकर 1 साल पढ़ाई करने के बाद उन्होंने कॉलेज छोड़ दिया और खुदका एक छोटा सा बिजनेस शुरू किया।उन्होंने अपने कैरियर की शुरुआत बॉल बरींग के एक बिजनेस से कि थी ।और उस समय उनका स्टॉक मार्केट में जाने का कोई दूर दूर तक इरादा नहीं था । हालाकि राधाकृष्ण जी अपनी बिजनेस कि निव ही रख रहे थे तभी उनके पिता शिवकिषण जी का देहांत होगया। और पिता के इसे अचानक गुजर जाने से उनको बोहोत गहरा सदमा पोहचा।इसलिए उनका बिजनेस जो कि ठीक तरीके से अभी जम भी नहीं पाया था तभी पिता के ना होने से उनकी आर्थिक स्थिति खराब होने लगी। इसलिए दमानी जी को अपना बिजनेस बंद करके मजबूरन स्टॉक ब्रोकर का काम करना पड़ा अपने परिवार की सहायता करने के लिए ।क्युकी उनके बड़े भाई पहले से ही स्टॉक मार्केट में ब्रोकर का काम कर रहे थे तो उन्होंने अपने भाई को ज्वाइंड कर लिया ।हालांकि 27 से 28 की उम्र तक उन्हें स्टॉक मार्केट की कोई अच्छे से नॉलेज नहीं थी ।लेकिन अगले कुछ साल मार्केट को अच्छेसे समजने के बाद कुछ सालो में उनका नाम टॉप ब्रोकर के शुमार होगया था।हालांकि कुछ समय स्टॉक ब्रोकर का काम करने के बाद उन्हें ये समंज में आगाया था कि कुछ बड़ा करने के लिए सिर्फ स्टॉक ब्रोकर से कुछ नहीं होगा ,उन्हें एक इन्वेस्टर भी बनना पड़ेगा ,और ये विचार मन में आने के बाद उन्होंने इनवेस्टिंग के गुण सीखने भी शुरू कर दिए ।और जब उन्होंने स्टॉक मार्केट में अपनी लाइफ का पहला इन्वेस्टमेंट किया तब उनकी उमर 32 साल थी ,और सभी लोगो की तरह ही शुरवात में उनको नुकसान झेलना पड़ा । लेकिन आगे लगातार सीखने के बाद उनको गिनती वन ऑफ द बेस्ट इन्वेस्टर्स में कि जाने लगी। 
            वे 80 के दशक में स्टॉक मार्केट के सबसे बड़े और सबसे ख़तरनाक बेयर मनु भाई मनिक से बोहोत ज्यादा प्रभावित थे। दरअसल मनु मनिक स्टॉक मार्केट में शॉर्ट सेलिंग करके पैसा कमाते थे ।और उस समय बड़ी बड़ी कंपनिया भी सिर्फ मनु भाई मनिक के नाम से ही खौफ खाती थी। क्युकी उसमे यह काबिलियत थी कि वे अपने फायदे के लिए किसी भी बड़ी या छोटी कंपनी के शेयर को आसमान से सीधा जमीन पे लाकर पटक देता था।असल में मनु मनिक का शॉर्ट सेलिंग करने का अपना ही एक अलग तरीका था ,और दमानी जी उसी तरीके को सीखना चाहते थे ।और इसके लिए वो मनु मनिक जी के साथ जुड़ गए ।और शॉर्ट सेलिंग सीखने के बाद वो मनु मनिक जी के नुस्खे अपनाने लगे और उन्होंने स्टॉक मार्केट में पहले से भी ज्यादा प्रॉफिट कमाया ।लेकिन उनके लिए समस्या तब शुरू हुए जब मार्केट में हर्षद मेहता की इंट्री हुए ।क्युकी Harshad mehta किसी भी स्टॉक को मनुपुलेट करके किसिभी स्टॉक को जमीन से सीधे आसमान में पुहचा देता था । 
और हमने बताया की दमानी जी मनु भाई मनिक की तरह ही स्टॉक मार्केट में शॉर्ट सेलिंग करके प्रॉफिट किया करते थे ,और शॉर्ट सेलिंग से प्रॉफिट तब ही के सकता है जब किसी भी स्टॉक को प्राइस नीचे की तरफ जाता है । ऎसे में हर्षद मेहता मनूपुलेट करके किसी भी स्टॉक की प्राइस को बढ़ता था तो इससे दमानी जी को बोहोत ज्यादा नुकसान होता था ।और इसीलिए हर्षद मेहता और पुरे बेयर लोगो के बीच एक जंग कि हाेगाई थी ,और उस वक्त बेयर लोगो में दमानी जी के अलावा Rakesh zhunzunwala भी शामिल थे ।इसी तरह हर्षद और दमानी जी में जंग होती रही कभी हर्षद जीत जाता तो कभी दमानी जी ऐसे ही चलता रहा ,लेकिन इस जंग का एंड तब हुआ जब 1992 में हर्षद मेहता का स्कैम दुनिया के सामने आया और तब दमानी जी की जीत होगयी ।इसी के चलते राधाकृष्ण जी का दबदबा मार्केट के ऊपर और भी बढ़ चुका था ।और जिस तरह मनु मनिक को दमानी जी ने अपना गुरु माना था उसी तरह राकेश झुझुंवला भी उन्हें अपना गुरु मानते थे ।और आपको बता दे की इस वक्त राकेश झुंझनवला भारत के सबसे बड़े बिल और इन्वेस्टर माने जाते है और अच्छे बिजनेस मन भी। और आज के समय में उन्हें भारत का वॉरेन बफेट भी बोलते है ।लेकिन इसके बावजूद वो आजभी राधाकृष्ण जी को ही अपना गुरु मानते है। 
           हर्षद मेहता का स्कैम सामने आने के बाद के कुछ वक्त तक दमानी जी भी शांत बैठ गए थे लेकिन कुछ वक्त बाद उसका असर इनपर भी होने लगा जिसकी वजह से उनकर कई आरोप लगे । इसलिए उन्हें अपने जीवन में कई सारे कठिन निर्णय लेने पड़े जिसकी वजह से वो एकबार उनका बैंक से निवाला निकाल गया था। और ये वही समय था जब उन्होंने स्टॉक मार्केट को छोड़कर अपना कोई बिजनेस करने। का सोचा था । 
           दमानी जी को पहले से ही रिटेल बिजनेस में कंज्यूमर के तरफ लगाव था इसलिए वो इससे मिलते जुलते ही कुछ बिजनेस शुरू करना चाहते थे । और इसी के चलते उन्होंने 1999 में दामोदर मॉल के साथ मिलकर अपना बाजार नाम का एक कोऑपरेटिव डिपार्टमेंट स्टोर खरीद लिया था ,लेकिन उनको इसका बिजनेस मॉडल पसंद नहीं आया ,और इसके चलते उन्होंने दूसरा कुछ करने का सोचने लगे ।
        दमानी जी अमेरिका की सबसे बड़ी रिटेल चैन वालमार्ट से काफी प्रभावित थे ,इसलिए वे ऐसा ही कुछ भारत में भी शुरू करना चाहते थे ।क्युकी इस बिजनेस के बारे में उनको खास जानकारी नहीं थी ,इसीलिए वालमार्ट को सामजने के लिए वे कई बार अमेरिका भी गए ।
        फिर साल 2002 में उन्हें लगा कि वे इस बिजनेस को अच्छी तरह समझ चुके है ,तब उन्होंने Dmart कंपनी की शुरवात की,लेकिन दमानी जी के पास उस समय अपने बिजनेस में लगाने के लिए ज्यादा पैसे नहीं थे ,जिसकी वजह से उनको एक स्टोर खोलकर हि बिजनेस की शुरवात करनी पड़ी ।Dmart का यह पहला स्टोर मुंबई शहर के पवई में खोला गया था ।
लेकिन शुरवात भलेही छोटी थी लेकिन उन्हें यकीन था कि वे इसे भारत की सबसे बड़ी सुपर मार्केट चैन बनाएंगे ।और मन में ये विश्वास लेकर वो स्टोर को चलने लगे और बिजनेस बढ़ाने लगे ।और अपनी मेहनत के दम पर वो अपने स्टोर की गिनती बढ़ाते चले गए ।इसलिए Dmart भारत के सबसे बड़ी सुपर मार्केट चैन बन गई ।
        और अगर आजकी बात करे तो पूरे देश में total Dmart के 220 बड़े स्टोर मौजूद है ।और इसी बिजनेस के बदौलत ही राधाकृष्ण दमानी जी आज भारत के टॉप 10 अमीर लोगो की सूची में 5 वे स्थान पर हे। और आज उनकी नेट वर्थ कुछ 20 बिलियन डॉलर है। 
        
         साल 2002 में अपनी कंपनी एवेन्यू सुपरमार्ट की ही एक दूसरी नई श्रृंखला D-Mart के पहला स्टोर खोला. D-Mart ने राधाकिशन दमानी के करियर को पूरी तरह से बदल कर रख दिया. पिछले 18 सालों में इस समय कंपनी की मार्केट कैप 1.5 लाख करोड़ रुपए तक पहुंच गया है. वर्तमान में देश भर में D-Mart के 196 स्टोर, 36 डिस्ट्रीब्यूशन सेंटर और 7 पैकिंग सेंटर हैं. इनमें कुल 9,780 लोग काम करते हैं.


      Radhakishana Damani  की कंपनी D-Mart का आईपीओ 21 मार्च 2017 में शेयर बाजार में लिस्ट हुआ. 21 मार्च को सुबह जैसे ही शेयर मार्किट खुला D-Mart का इश्यू प्राइस 299 रुपए से बढ़कर 604.40 रुपये पर लिस्ट हुआ. यह 102 फीसदी का रिटर्न है, जोकि अपने आप में एक रिकॉर्ड है. इससे राधाकिशन दमानी की संपत्ति में भारी इजाफा हुआ.


D-Mart की सफलता का राज (Secret of D-Mart’s success) :-

    1. राधा कृष्णन दमानी D-Mart स्टोर खोलने के लिए बिल्डिंग किराए पर नहीं लेते हैं बल्कि उसे खरीदते हैं.
    2. अगर बिल्डिंग लीज पर लेते भी हैं तो यह अवधि 30 साल से ज्यादा होती है.
    3. इसके अलावा अधिकांश कंपनियों में स्टॉक खत्म करने का समय औसतन 70 दिन होता है, लेकिन D-Mart में यह समय 30 दिन है.
    4. राधाकिशन दमानी D-Mart स्टोर मध्यमवर्गीय रिहायशी इलाकों में खोलते हैं.
    5. इसके अलावा वह D-Mart स्टोर पर अपने ब्रांड के अलावा कुछ मुख्य ब्रांड के प्रोडक्ट ही रखते हैं. इससे ग्राहक भ्रमित नहीं होते है.

राधाकृष्ण दमानी जी का मुंबई में 1000 करोड़ का घर 
इसी के साथ आज की स्टोरी में इतना ही धन्यवाद। 

            

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